कोरोना टेस्ट की स्पीड बढ़ाने के लिए 'पूल टेस्टिंग', जानें महामारी को हराने में कितना कारगर होगा ये तरीका corona pool testing
देश में कोरोना वायरस (coronavirus) के अब तक कुल 20471 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 652 लोगों की मौत हुई है. 3960 लोग ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं.
नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस (coronavirus) के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. अब तक कुल 20471 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 652 लोगों की मौत हुई है और 3960 लोग ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं.
जैसे-जैसे भारत में टेस्ट की संख्या बढ़ती जा रही है. कोरोना पॉजिटिव मामलों की संख्या भी बढ़ रही है. जाहिर है जिन इलाकों में हाट्स्पॉट हैं, वहां तो लोगों की जांच बड़ी संख्या में हो रही है लेकिन कम संक्रमण वाले इलाकों में भी ज्यादा सैम्पल लेकर टेस्ट की गति को बढ़ाए जा सके, इसके लिए आईसीएमआर ICMR की ओर से इन इलाकों में पूल टेस्टिंग कराने को लेकर एडवाइजरी जारी की गई है.
पूल टेस्टिंग क्या है?
आईसीएमआर का कहना है कि पूल टेस्ट से न केवल टेस्ट की स्पीड बढ़ेगी, बल्कि इससे समय और पैसे की भी बचत होगी. लेकिन ये पूल टेस्ट है आखिर है क्या और कोरोना को हराने में कितना कारगर साबित होगा? आइए इसके बारे में जानते हैं:-
पूल शब्द से ही पता चलता है, सम्मिलित होना यानी कई लोगों की जांच एक बार में की जाएगी. ICMR की गाइडलाइन के मुताबिक, अधिकतम पांच लोगों की एकसाथ पूल टेस्टिंग की जा सकती है. वहीं कुछ लैब तीन सैम्पल लेकर भी टेस्ट कर रहे हैं.
ICMR के चीफ साइंटिस्ट डॉक्टर रमन गंगाखेड़कर के मुताबिक, “ पूल टेस्ट के लिए सैम्पल उन्ही इलाकों से इकट्ठा किए जाएंगे, जहां कोरोना पॉजिटिव मामले 2 से 5 फीसदी हैं यानी ग्रीन जोन. इससे टेस्ट का खर्च भी कम होगा.
कैसे होती है पूल टेस्टिंग?
पूल टेस्ट में तीन से पांच लोगों के नाक और गले के स्वैब सैम्पल लिए जाते हैं और एक-एक सैम्पल की जांच करने की बजाय सभी सैम्पल को मिलाकर जांच होती है. अगर किसी एक का भी पूल टेस्ट नेगेटिव आता है तो सभी नेगेटिव मान लिए जाते हैं. लेकिन अगर किसी एक का भी पूल टेस्ट पॉजिटिव आ जाए तो बारी बारी सभी पांच लोगों का टेस्ट किया जाएगा.
पूल टेस्टिंग कहां होगी?
पूल टेस्ट से भले जल्दी टेस्टिंग की जा सकती है और कई टेस्ट किट बचाए जा सकते है लेकिन इसे हर जगह नहीं किया जा सकता. पूल टेस्टिंग उन इलाकों में हो सकती है जहां कोरोना वायरस के केस 2 प्रतिशत से कम हों. सैम्पल पूलिंग उन इलाकों के लिए नहीं है जहां पॉजिटिव मामलों का रेट 5 प्रतिशत से ज्यादा हो. इसके तहत 2 से ज्यादा सैम्पल पूल किए जा सकते हैं. ICMR अधिकतम 5 सैम्पल को पूल करने की सलाह देता है.
रैपिड टेस्ट से अलग
पूल टेस्ट, रैपिड टेस्ट से अलग है. रैपिड टेस्ट उन इलाकों में किए जा रहे है, जहां कोरोना संदिग्ध हैं. रैपिड टेस्ट में antibodies का पता लगाया जाता है. लेकिन पूल टेस्ट में COVID 19 वायरस का पता लगाया जाता है. पूल टेस्टिंग के दो ही मकसद हैं या यू कहें इस टेस्ट के फायदे ये हैं कि ज्यादा से ज्यादा सैम्पल टेस्ट किए जा सकते हैं और दूसरा टेस्ट में खर्च और समय भी बचता है.
पूल टेस्ट, रैपिड टेस्ट से अलग है. रैपिड टेस्ट उन इलाकों में किए जा रहे है, जहां कोरोना संदिग्ध हैं. रैपिड टेस्ट में antibodies का पता लगाया जाता है. लेकिन पूल टेस्ट में COVID 19 वायरस का पता लगाया जाता है. पूल टेस्टिंग के दो ही मकसद हैं या यू कहें इस टेस्ट के फायदे ये हैं कि ज्यादा से ज्यादा सैम्पल टेस्ट किए जा सकते हैं और दूसरा टेस्ट में खर्च और समय भी बचता है.
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