Lockdown के दौरान Porn देखने वालों की संख्या में जबर्दस्त इजाफा, इतने प्रतिशत बढ़ी संख्या
कोरोना महामारी (Coronavirus) से मुकाबले के लिए लॉकडाउन जैसे उपायों के बीच देश में पॉर्न देखने वालों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है.
नई दिल्ली: कोरोना महामारी (Coronavirus) से मुकाबले के लिए लॉकडाउन जैसे उपायों के बीच देश में पॉर्न देखने वालों की संख्या में जबर्दस्त इजाफा हुआ है. हाल में हुए एक सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन (Lockdown) अवधि में भारत में ऑनलाइन पॉर्न खपत लगभग 95 प्रतिशत बढ़ी है. जबकि, 89 प्रतिशत लोग अपने मोबाइल पर पॉर्न वेबसाइट (porn sites) खंगाल रहे हैं. इसके अलावा, पॉर्न देखने वाले 30-40 प्रतिशत लोग ऐसे वीडियो डाउनलोड भी कर रहे हैं. यह तब है जब देश में 3,500 से अधिक पॉर्न वेबसाइटों को प्रतिबंधित किया गया है.
लॉकडाउन 3.0 में कई जगहों पर कड़े उपायों में छूट दी गई है, लेकिन फिर भी अधिकांश कार्यालय, स्कूल-कॉलेज आदि बंद हैं. ऐसे में लोग घरों तक ही सीमित होकर रह गए हैं. समय बिताने के लिए ज़्यादातर लोग मोबाइल पर वीडियो देखना पसंद कर रहे हैं. इस ‘पसंद’ ने पॉर्न देखने की लत को फिर से जागृत कर दिया है. यही वजह है कि लॉकडाउन अवधि के दौरान ऑनलाइन पॉर्न खपत लगभग 95 प्रतिशत तक बढ़ गई है.
सबसे बड़ी चिंता
सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि पॉर्न वेबसाइट या वीडियो देखने वालों में नाबालिगों की संख्या भी कम नहीं है. कुछ साल पहले बेंगलुरु में 10 स्कूलों के 400 छात्रों के बीच एक सर्वेक्षण किया गया था. जिसमें यह बात सामने आई थी कि कम से कम 70 फीसदी छात्रों ने 10 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते इंटरनेट पर अश्लील कंटेंट देखना शुरू कर दिया था.
सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि पॉर्न वेबसाइट या वीडियो देखने वालों में नाबालिगों की संख्या भी कम नहीं है. कुछ साल पहले बेंगलुरु में 10 स्कूलों के 400 छात्रों के बीच एक सर्वेक्षण किया गया था. जिसमें यह बात सामने आई थी कि कम से कम 70 फीसदी छात्रों ने 10 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते इंटरनेट पर अश्लील कंटेंट देखना शुरू कर दिया था.
पैरेंट्स को नहीं पता
रिसर्च फर्म वेलोसिटी एमआर (Velocity MR) के अनुसार, भारत के बड़े शहरों में रहने वाले 90 फीसदी माता-पिता सोचते हैं कि इंटरनेट उनके बच्चों की पढ़ाई में मदद करता है. जबकि 10 में से 9 माता-पिता मानते हैं कि उनका बच्चा केवल पढ़ाई के लिए इंटरनेट का उपयोग करता है और कोई अश्लील कंटेंट नहीं देखता. हालांकि छह या सात साल के बच्चों के पास मोबाइल फोन इंटरनेट सुविधा है और वे अपनी इच्छानुसार कुछ भी देखने के लिए स्वतंत्र हैं.
रिसर्च फर्म वेलोसिटी एमआर (Velocity MR) के अनुसार, भारत के बड़े शहरों में रहने वाले 90 फीसदी माता-पिता सोचते हैं कि इंटरनेट उनके बच्चों की पढ़ाई में मदद करता है. जबकि 10 में से 9 माता-पिता मानते हैं कि उनका बच्चा केवल पढ़ाई के लिए इंटरनेट का उपयोग करता है और कोई अश्लील कंटेंट नहीं देखता. हालांकि छह या सात साल के बच्चों के पास मोबाइल फोन इंटरनेट सुविधा है और वे अपनी इच्छानुसार कुछ भी देखने के लिए स्वतंत्र हैं.
भारत तीसरे स्थान पर
सस्ते दामों पर डेटा की उपलब्धता भारत के लिए वरदान की तरह है, लेकिन इसके दुष्परिणाम भी हैं. युवा पीढ़ी फ्री पॉर्न के जाल में फंसती जा रही है, जिसकी वजह से वे कभी-कभी गंभीर अपराध भी पर बैठते हैं. हालांकि, अश्लील सामग्री देखने के मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है, अमेरिका और ब्रिटेन में सबसे ज्यादा पॉर्न कंटेंट देखा जाता है.
सस्ते दामों पर डेटा की उपलब्धता भारत के लिए वरदान की तरह है, लेकिन इसके दुष्परिणाम भी हैं. युवा पीढ़ी फ्री पॉर्न के जाल में फंसती जा रही है, जिसकी वजह से वे कभी-कभी गंभीर अपराध भी पर बैठते हैं. हालांकि, अश्लील सामग्री देखने के मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है, अमेरिका और ब्रिटेन में सबसे ज्यादा पॉर्न कंटेंट देखा जाता है.
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