हज सब्सिडी खत्म: बेधड़क हिंदुत्व के एजेंडे पर चल रही है बीजेपी haj-subsidy-bjp-government-is-working-blatantly-on-its-hindutva-agenda
हज सब्सिडी पर सियासी उठापटक के बीच सरकार ने अपने कोर वोटर को खुश करने वाला कदम उठा दिया है
मोदी सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आखिरकार इस बात का ऐलान कर दिया जिसकी चर्चा लंबे वक्त से चल रही थी. अब सरकार हज यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं की हवाई यात्रा पर सब्सिडी नहीं देगी.
सरकार का दावा है इससे बचने वाली भारी-भरकम राशि को मुस्लिम तबके की महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा पर खर्च कर दिया जाएगा. नकवी के मुताबिक, 700 करोड़ रुपए की राशि हज सब्सिडी के तौर पर अबतक दी जाती रही है. लेकिन, अब यह राशि सरकार के खजाने में ही रह जाएगी, जिसका इस्तेमाल मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा पर खर्च किया जाएगा.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस बाबत 2012 में ही स्पष्ट आदेश देते हुए अगले दस साल के अंदर चरणबद्ध तरीके से हज सब्सिडी खत्म करने को कहा था. लेकिन, 2022 के चार साल पहले ही केंद्र सरकार ने सब्सिडी का पूरी तरह से खात्मा करने का ऐलान कर दिया है.
गौरतलब है कि इस साल से हज यात्रा पर जाने वाले लोगों की तादाद में भारी इजाफा हो रहा है. पिछले साल के सवा लाख से ज्यादा हज यात्रियों की तुलना में इस साल 1,75,025 यात्री हज यात्रा पर जाएंगे. हज यात्रियों के कोटे में हुई भारी बढ़ोत्तरी के बाद सरकार अगर सब्सिडी देती तो यह राशि 700 करोड़ रुपए से कहीं ज्यादा होती. लेकिन, अब सब्सिडी खत्म करने के फैसले ने उन लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है जो सब्सिडी की आस लगाए बैठे थे.
हालांकि मामले की संवेदनशीलता और इस पर होने वाली संभावित राजनीति का एहसास सरकार को पहले से है लिहाजा सरकार की तरफ से अब तैयारी भी की जा चुकी है.
केंद्र सरकार की तरफ से सब्सिडी नहीं देने के बाद बचने वाली 700 करोड़ रुपए की राशि को मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा पर खर्च करने की योजना बनाई जा रही है. सरकार के इस कदम को मुस्लिम तबके की आधी आबादी को अपने साथ जोड़ने की कवायद के तौर पर ही देखा जा रहा है.
अभी हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र में ट्रिपल तलाक पर लोकसभा से बिल पास कराकर सरकार ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. मुस्लिम महिलाओं की तरफ से सरकार को इस पर समर्थन भी मिल रहा है. कोशिश है मुस्लिम महिलाओं को अपने पाले में लाकर एक बड़े वोटबैंक को अपने साथ जोड़ा जाए.
क्योंकि ट्रिपल तलाक के मसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से लेकर कई दूसरे मुस्लिम संगठन सरकार के कदम का विरोध कर रहे हैं. ऐसे में सरकार मुस्लिम महिलाओं को जोड़ने को लेकर एक बड़ा दांव चल रही है.
अब हज सब्सिडी खत्म होने को लेकर भी मुस्लिम तबके में नाराजगी हो सकती है. सरकार का यह कदम देश के मुसलमानों को रास नहीं भी आ सकता है. लेकिन, सरकार की तरफ से एक बार फिर से इसकी पूरी तैयारी है. सरकार को लगता है कि सब्सिडी के पैसे का इस्तेमाल मुस्लिम तबके की लड़कियों की शिक्षा पर खर्च कर फिर से मुस्लिम महिलाओं को अपने साथ जोड़ना संभव है.
हालांकि इस तरह की मांग पहले भी कई लोगों की तरफ से उठती रही है. मुसलमानों के मुद्दे पर खुलकर बोलने वाले एआईएमआईएम के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मसले पर लगातार कहा है कि सब्सिडी खत्म कर उस पैसे को शिक्षा पर खर्च कर देना चाहिए.
मुस्लिम संगठनों की तरफ से तर्क यह दिया जाता रहा है कि केवल हवाई यात्रा पर ही सरकार सब्सिडी देती है, जिसका फायदा सीधे एयरलाइंस को ही मिलता है. हज यात्रा पर भारत और सऊदी अरब की सरकारी कंपनी के ही विमानों का इस्तेमाल होता रहा है. लेकिन, इन संगठनों का तर्क है कि अगर प्राइवेट एयरलाइंस को भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो फिर एयरफेयर इतना कम हो जाएगा कि सब्सिडी देने की कोई जरूरत ही नहीं रह जाएगी.
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की तरफ से भी कुछ इसी तरह का तर्क दिया जा रहा है. आजाद ने कहा है कि सब्सिडी से फायदा एयरलाइंस को होता था. लेकिन, 2022 की सुप्रीम कोर्ट की डेडलाइन खत्म होने से पहले ही सरकार की तरफ से सब्सिडी खत्म करने के फैसले पर आजाद सवाल खड़े करते दिखे.
लेकिन, हज सब्सिडी पर सियासी उठापटक के बीच सरकार ने अपने कोर वोटर को खुश करने वाला कदम उठा दिया है. जिस पर सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल रहे राहुल गांधी की पार्टी के लिए बोलने से पहले काफी सोचना पड़ रहा है.
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